प्रदूषण के इस मौसम में बच्चों का दम न निकाले दमा
डॉक्टर पी.के. सिंघल
बच्चों में अस्थमा यानी दमा की समस्या एक गंभीर बीमारी है। इससे बच्चे की शारीरिक, मानसिक एवं अन्य गतिविधियों का विकास अवरूद्ध होने की आशंका रहती है। पिछले कुछ सालों में इस बीमारी के शिकार बच्चों की संख्या कई गुणा बढ़ी है और इसकी मुख्य वजह प्रदूषण और खाद्य पदार्थ हैं। अस्थमा में फेफड़ों को हवा पहुंचाने वाली श्वास नलियां संकुचित हो जाती हैं। इस कारण सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। अस्थमा की तकलीफ बच्चों को किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है।
लक्षण
अस्थमा के प्रमुख लक्षण खांसी, घरघराहट, छाती में जकड़न और पूरी सांस न ले पाना, सांस में घरघराहट के साथ सीटी की आवाज, नींद में रुकावट (रात के समय और सुबह इसका हमला और भी तेज होता है), खेलने-कूदने पर जल्दी दम फूलना आदि हैं। वैसे तो अस्थमा आनुवांशिक है लेकिन कई बार यह कई कई पीढ़ियों तक दबा रहता है इसलिए यह जरूरी नहीं है कि परिवार का हर बच्चा दमा से पीड़ित हो।
अस्थमा ट्रिगर्स
कुछ मामलों में अस्थमा के लक्षण उभरने की प्रवृत्ति होती है। इन्हें अस्थमा ट्रिगर्स (दमा के उभारने का कारण) कहते हैं। इनमें प्रमुख हैं सर्दी का वायरल संक्रमण, वायु प्रदूषण, सिगरेट आदि का धुआं या धुएं वाली जगह, शारीरिक थकान या ज्यादा खेलकूद, ठंडी हवा, फूलों के परागकण, घर की धूल, पालतू जानवरों के बाल और पंख, आटे या लकड़ी का बुरादा आदि। कभी कभी मौसम बदलने या बच्चे में किसी मानसिक दबाव से भी अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। इसलिए माता को चाहिए कि वे बच्चे में अस्थमा उभारने वाले कारणों का ध्यान रखें और यथासंभव बच्चे को उससे बचाकर रखें।
व्यायाम पर बंदिश नहीं
अस्थमा के शिकार बच्चे को व्यायाम करने पर कोई पाबंदी नहीं है, लेकिन ऐसे व्यायाम कराएं जिनसे उनकी शारीरिक शक्ति तो बढ़े मगर दमा की तकलीफ न बढ़े। तैरना और योग करने से इसमें काफी लाभ पहुंचता है। सांस संबंधी व्यायाम भी बच्चे के लिए लाभदायक हो सकते हैं। यदि व्यायाम करने में कोई समस्या आती है तो तुरंत किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
बचाव
मानसिक परेशानी, उत्तेजना, क्रोध, हताशा या पारिवारिक समस्याओं से यह बढ़ सकती है। माता-पिता के सकारात्मक और विश्वासपूर्ण व्यवहार से इसमें मदद मिलती है। बाजार में बिकने वाले डिब्बाबंद चीजें बच्चों का न खाने दें क्योंकि इनमें खाद्य पदार्थों को संरक्षित करने के लिए जो रसायन मिले होते हैं वे दमा के ट्रिगर हो सकते हैं। बाहर के दूषित खाद्य पदार्थों से भी संक्रमण हो सकता है और यह संक्रमण दमा का ट्रिगर का काम कर सकता है। करीब एक हजार बच्चों पर शोध करके यह पाया गया है कि जिन बच्चों के माता-पिता ने पर्याप्त सावधानी बरती उनमें से 60 फीसदी बच्चे उम्र के साथ दमा से मुक्त हो गए।
(प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित किताब फैमिली हेल्थ गाइड से साभार)
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